चला भी जाऊं, मैं अभी तुझ से दूर
जाऊं कहां, जाऊं जहां, वहां सनम निकले
निगाहों से छलकते जाम की कसम
देखें मेरी और तो निगाहों से सनम निकले
बैठकर सुनाएं मुझे लफ्ज़-ब-लफ्ज़
खुद-ब-खुद उसके लफ्ज़ से सनम निकले
नहीं जाता मंदिर-ओ-मस्ज़िद में
आती जाती सांस से अब तो सनम निकले
पहचानने लगे लोग मुझे शायरी से
मत्ला ओ मक़्तामें इसके बस सनम निकले
आना हो तो आओ, चाहे ना आओ
यहां तुम, वहां ख़ुदा, कि फिर सनम निकले
तय है जाना इक दिन जहां से मेरा
निकलेगी जान तो देखेंगे सब सनम निकले
- उदयन
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