जलता दिया हूं मैं अपनेआप में
मुझे अंधेरे का ख़ौफ ना दिखाओ
तुम्हारी समझ से परे हूं, तो हूं
मोहब्बत क्या है, मुझे ना सिखाओ
मेरी बंदगी मेरे सजदे साकी से
मस्जिदों के तौर तरीके ना बताओ
बैठा हूं तो भी अपनी मस्ती में हूं
घुंघरू की खनक से ना सताओ
वह एक ही है तुझमें भी मुझमें भी
द्वैत के बाहरी ख़ुदा को भगाओ
- उदयन गोहिल
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