Saturday 30 December 2017

जिंदगी तनहा सफर की रात है

जिंदगी तनहा सफर की रात है
जाग फकीरा कहां तेरी ज़ात है

मिल जायेंगें कई ख़ुदा यहां
देख ग़ौर से सूफ़ी कि जमात है

ढूंढता है मुहब्बत वो दूजे में
है नहीं तो दे कैसे ये इस्बात है

कोई दिया बुझा के तुम्हें कहूं
रोशनी से जुड़े ये हालात है

है कत्ल का इल्ज़ाम उसी पे
वहीं आंखों की इत्ती सी बात है

- उदयन गोहिल

इस्बात ~ प्रमाण

Monday 18 December 2017

कहते हो तुम वैसे नज़र आएं क्यूं

कहते हो तुम  वैसे  नज़र आएं क्यूं
अपने आप को  सब से  बचाएं क्यूं

है मुहब्बत गर  तो दिखा दो खुलके
खा म खा  ये गुलाब  तुम लाएं क्यूं

तय है  जाना  ये  जहां से  इक दिन
ये  इंट - पत्थरों से  घर  सजाएं क्यूं

कब तलक  रहेगा  ये  दिया  रोशन
भला  पहले से  ख़ुदा ये बताएं क्यूं

रहते हो  मरे - मरे  पूरी  ज़िंदगी तो
अलग से  जनाजा  फिर उठाएं क्यूं

और  ख़ता  हम से ही  हुई थी क्या
हर  मुलाकात पे  वो  गिनवाए क्यूं

वैसे  कुछ  कहते  नहीं  मिलने  पर
आज   गीत  प्यारा  गुनगुनाएं  क्यूं

- उदयन गोहिल