कहते हो तुम वैसे नज़र आएं क्यूं
अपने आप को सब से बचाएं क्यूं
है मुहब्बत गर तो दिखा दो खुलके
खा म खा ये गुलाब तुम लाएं क्यूं
तय है जाना ये जहां से इक दिन
ये इंट - पत्थरों से घर सजाएं क्यूं
कब तलक रहेगा ये दिया रोशन
भला पहले से ख़ुदा ये बताएं क्यूं
रहते हो मरे - मरे पूरी ज़िंदगी तो
अलग से जनाजा फिर उठाएं क्यूं
और ख़ता हम से ही हुई थी क्या
हर मुलाकात पे वो गिनवाए क्यूं
वैसे कुछ कहते नहीं मिलने पर
आज गीत प्यारा गुनगुनाएं क्यूं
- उदयन गोहिल
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