Saturday 30 December 2017

जिंदगी तनहा सफर की रात है

जिंदगी तनहा सफर की रात है
जाग फकीरा कहां तेरी ज़ात है

मिल जायेंगें कई ख़ुदा यहां
देख ग़ौर से सूफ़ी कि जमात है

ढूंढता है मुहब्बत वो दूजे में
है नहीं तो दे कैसे ये इस्बात है

कोई दिया बुझा के तुम्हें कहूं
रोशनी से जुड़े ये हालात है

है कत्ल का इल्ज़ाम उसी पे
वहीं आंखों की इत्ती सी बात है

- उदयन गोहिल

इस्बात ~ प्रमाण

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