जिंदगी तनहा सफर की रात है
जाग फकीरा कहां तेरी ज़ात है
मिल जायेंगें कई ख़ुदा यहां
देख ग़ौर से सूफ़ी कि जमात है
ढूंढता है मुहब्बत वो दूजे में
है नहीं तो दे कैसे ये इस्बात है
कोई दिया बुझा के तुम्हें कहूं
रोशनी से जुड़े ये हालात है
है कत्ल का इल्ज़ाम उसी पे
वहीं आंखों की इत्ती सी बात है
- उदयन गोहिल
इस्बात ~ प्रमाण
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