दिया जलता वो मेज़ पर छोड़ गया
सफ़र बाहर का भीतर में मोड़ गया
ले आया क़िताब कोरी सूफ़ी मेरे लिएं
जाते - जाते और पन्ने दो जोड़ गया
था रिवाज़ उसके यहां छोड़ जाने का
ना बदला मैं जब वो दिल तोड़ गया
ले लेगी मौत छीनकर के सब मुझ से
उससे पहले मैं ज़िंदगी निचोड़ गया
है ख़ुदा और वो भी कायनात से जुदा
खयाल ऐसे अपने हाथों मरोड़ गया
- उदयन गोहिल
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