Saturday 24 March 2018

भरो गिलास में और सामने रखो उसे

भरो गिलास में और सामने रखो उसे
ये मौत,  जाम से  कुछ ज़्यादा नहीं है

उड़ जाएगा पंछी पिंजरे से निकल के
वापिसी का उसका कोई वादा नहीं है

ये क्या बला है तुम सोचते हो हर बात
दिल है, किसी का आना जाना नहीं है

गया है  मुंह फेर कर वो,  तो जाने दो
फ़िर से देखने का कोई इरादा नहीं है

पूछ लूं, खैरियत तुम्हारी आज  अभी
कह सकते हो, ये दिल लगाना नहीं है

और हो कभी ज़हन में तो आ जाना
हूं इंतज़ार में, मेरा कोई ज़माना नहीं है

- उदयन गोहिल

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