मिला था इस कदर वो मुझसे, मिले फिर, सताएं फिर
था महकता गुलाब वो याँ थे होंठ तुम्हारें, बताएं फिर
थी चुभन हलकी सी, यूँ ही, मुसल्लम दिल में मेरे भी
आजमाएं, जलाएं, पर होंठ तो दातों तले दबाएं फिर
असर इतना रहा है वो पहली मोहब्बत का अाज भी
छूट जायें धडकन, पायल पहन कोई गुजर जाएं फिर
अकसर ढूँढती है नज़रें 'उदयन', यहां वहां सनम को
जवानी की दहलीज पर, लाएं फिर मुझे, जलाएं फिर
- उदयन
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