तेरी नज़रों ने आज सवाल किया
नज़रों की गुफ्तगू में इकबाल किया
बे सबब मुस्कुराकर देख क्या लिया
हमारे अल्फ़ाजों ने कमाल किया
है शाम आधी और रात भी आधी
वक्त को रोकने का ख़याल किया
जूल्फ़ बिखेर आप नज़दीक आएं
तो आपके हुस्न ने बबाल किया
रंग गोरा नैन मस्त नक़्श अदा
खुद ही खुद में जमाल किया
खुब नज़दीक रहा वो 'उदयन'
खुद को हमने न बहाल किया
- उदयन
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