Friday 17 March 2017

कि मैने कोशिश कई बार

कि मैने कोशिश कई बार, हर बार बिखर जाता हूँ
थी जो मुहब्बत मुझे, जब लफ्ज़ों में वो सजाता हूँ

छिपी है  रूहमें आज भी वो धून अधूरी  तेरे बगैर
बनाके धडकनों की साज अकेले कभी बजाता हूँ

वक्त नहीं है मेरा, हालांकि  मुझे भी यह मालूम है
मिल जाएं कहीं से पल एकाद, उसीको चूराता हूँ

बैठा तु आसमानों पे, दिल बनाके हमें छोड दिया
सुन वहीं पे बैठे बैठे,  क्या होता है यहां बताता हूँ

आते है सब, बचपन में करने बात साफ दिलों की
किया मैने जवां दहलीज पर, देख क्या कमाता हूँ

आया था जो कभी  मुझ तक  न आयेगा  वो अब
सोचकर यहीं इब्तिला  खूद ही खूदको सताता हूँ

नमालूम पढेगा कि नही  अब की बार भी 'उदयन'
नजाने क्यूं दिल आँगन में सनम कह चिल्लाता हूँ

- उदयन

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