गुलशन एक खिलाखिला सा, रहे अमानत मंजूर है
मासूम दिल मेरा खंजर तेरा, रहे क़यामत मंजूर है
निकल रहा पानी समंदर से बहार उछल उछलकर
सामने साकी, हम प्यासे मरे, रहे इजाज़त मंजूर है
रहता हूं सदा, बाअदब बेशूमार हर वक्त हर पहर
मस्जिदों से मयखानों तक, रहे ख़जालत मंजूर है
रोशनी रही चाँद - सितारों की मेरे इर्दगिर्द ता उम्र
तेरे जमाल-ए-रूख के सजदे, रहे इबादत मंजूर है
नमाजें तो बहुत अदा हुई उसके दर पर बे ख़बर
मुकाम आखरी सनमखाना, रहे ज़ियारत मंजूर है
लफ़्जों की इमारत से कुछ न हांसिल रहा 'उदयन'
धडकनों कि नज़ाफ़त में मैं, रहे ज़मानत मंजूर है
- उदयन
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