ऐय मेरी मुहब्बत-ए-बेगम
रहे सदा तेरा मुझ पे करम
कहूँ तुम्हें, मैं शाम-ए-गज़ल
मिले हो तुम मुझे नैन सजल
बनके एक सूफियानी पज़ल
खूदमें, खूदसे मेरा ही जदल
ऐय मेरी मुहब्बत-ए-बेगम
है जमाना, तो ज़रा इशारा दो
गिलास में हुस्न सा पैमाना दो
भंवरे को चूसाकर यहीं मार दो
याँ फिर से हसीन फ़साना दो
ऐय मेरी मुहब्बत-ए-बेगम
ताज़की संगी दिवारों से सीखा
मुहब्बत की आयतों सा लीखा
नज़र नज़र का वाकया साकी
तेरी नज़रों में हमें ख़ूदा दिखा
ऐय मेरी मुहब्बत-ए-बेगम
- उदयन
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