Friday 17 March 2017

ऐय    मेरी   मुहब्बत-ए-बेगम

ऐय    मेरी   मुहब्बत-ए-बेगम
रहे  सदा   तेरा  मुझ पे  करम

कहूँ  तुम्हें,  मैं  शाम-ए-गज़ल
मिले हो  तुम  मुझे नैन सजल
बनके  एक सूफियानी  पज़ल
खूदमें,  खूदसे  मेरा ही  जदल

ऐय    मेरी    मुहब्बत-ए-बेगम

है जमाना,  तो  ज़रा इशारा दो
गिलास में  हुस्न सा पैमाना दो
भंवरे को चूसाकर यहीं मार दो
याँ फिर से  हसीन  फ़साना दो

ऐय    मेरी    मुहब्बत-ए-बेगम

ताज़की संगी दिवारों से सीखा
मुहब्बत की आयतों सा लीखा
नज़र नज़र का  वाकया साकी
तेरी नज़रों में  हमें  ख़ूदा दिखा

ऐय    मेरी    मुहब्बत-ए-बेगम

- उदयन

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