फिर किसी शाम की दहलिज़ पे रूका हूँ मैं
फिर किसी याद के दामन से जूडा हूँ मैं
सबक वो याद आया है मुझे चाँद के साथ
गंवायें सालों, भूलने में, फिर आया हूँ मैं
थी कशिश कोई बाकी अभी तन्हा दिल में
लगाकर फूल मेरे कोट पे निकला हूँ मैं
बेसबब बात आयी है यूँ ही घूमके सनम
धड़कनों की तेरी आवाज़ में छाया हूँ मैं
- उदयन
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