रखा है दबाए ता उम्र बवंडर ख़यालों का
तूटेगा सब्र, इम्तिहान मत ले सवालों का
दौर था वह, चिंगारी उठती थी कलम से
दौर है कि, ज़वाब मिलता है मशालों का
जलायें गये इन्सां कूडे़ करकट की तरह
आया नज़र परदा मज़हबी जमालों का
अब भी, तु थका नही अासमानी ख़ूदा
है फ़ायदा किसे ये बेपरदा धमालों का
- उदयन
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